उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर, बाबा गोरखनाथ के नाम से सुविख्यात अनेक पुरातात्विक, अध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए है। गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर है। यह एक धार्मिक केन्द्र के रूप में मशहूर है जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द जी का जन्म स्थान भी है।
20वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र बिन्दु था परन्तु आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में बंगाल नागपुर रेलवे के रूप में जाना जाता था यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा /
G.I.D.A.) की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है जिससे इसके
विकास में चार चाँद लग गये हैं।
6 अक्टूबर 2013 को, गोरखपुर 1.35 किलोमीटर (0.84 मील) के साथ, गोरखपुर विश्व का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफार्म बन गया।
(आधिकारिक जनगणना 2011 के आँकड़ों के
अनुसार)
भौगोलिक क्षेत्र 3,321 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या 44,36,275
लिंग अनुपात 944/1000
ग्रामीण जनसंख्या 81.22%
शहरी जनसंख्या 18.78%
साक्षरता 73.25%
जनसंख्या घनत्व 1,336 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या 44,36,275
लिंग अनुपात 944/1000
ग्रामीण जनसंख्या 81.22%
शहरी जनसंख्या 18.78%
साक्षरता 73.25%
जनसंख्या घनत्व 1,336 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
दर्शनीय स्थल
अनेक पुरातात्विक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं
प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए
इस पर्यटन परिक्षेत्र की
अपनी विशिष्ट परम्पराए है।
सरयू, राप्ती, गंगा,
गण्डक, तमसा, रोहिणी
जैसी पावन नदियों
के वरदान से
अभिसंचित, भगवान बुद्ध, तीर्थकर महावीर,
संत कबीर, गुरु
गोरखनाथ की तपःस्थली, सर्वधर्म-सम्भाव
के संदेश देने
वाले विभिन्न धर्मावलम्बियों के
देवालयों और प्रकृति द्वारा
सजाये-संवारे नयनाभिराम पक्षी-विहार एवं अभ्यारण्यों से
परिपूर्ण यह परिक्षेत्र सभी
वर्ग के पर्यटकों का
आकर्षण-केन्द्र है।
गोरखनाथ
मन्दिर
गोरखपुर रेलवे
स्टेशन से 4 किलोमीटर दूरी
पर नेपाल रोड
पर स्थित गुरु
गोरखनाथ का अत्यन्त सुन्दर
भव्य मन्दिर स्थित
है। यहां प्रतिवर्ष मकर
संक्रांति के अवसर पर
खिचड़ी-मेला का
आयोजन होता है,
जिसमें लाखों की
संख्या में श्रद्धालु/पर्यटक
सम्मिलित होते हैं। यह
एक माह तक
चलता है।
विष्णु
मंदिर
यह मेडिकल
कॉलेज रोड पर
रेलवे स्टेशन से
3 किलोमीटर की दूरी शाहपुर
मोहल्ले में स्थित है।
इस मन्दिर में
12वीं शताब्दी की
पालकालीन काले कसौटी पत्थर
से निर्मित भगवान
विष्णु की विशाल
प्रतिमा स्थापित है। यहां दशहरा
के अवसर पर
पारम्परिक रामलीला का आयोजन होता
है।
गीताप्रेस
रेलवे स्टेशन
से 4 किलोमीटर दूरी
पर रेती चौक
के पास स्थित
गीताप्रेस में सफ़ेद संगमरमर की
दीवारों पर श्रीमद्भगवदगीता के
सम्पूर्ण 18 अध्याय के श्लोक
उत्कीर्ण है। गीताप्रेस की
दीवारों पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवं
भगवान श्रीकृष्ण के
जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं
की 'चित्रकला' प्रदर्शित हैं।
यहां पर हिन्दू
धर्म की दुर्लभ
पुस्तकें, हैण्डलूम एवं टेक्सटाइल्स वस्त्र
सस्ते दर पर
बेचे जाते हैं।
विश्व प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण
का प्रकाशन यहीं
से किया जाता
है।
विनोद वन
रेलवे स्टेशन
से 9 किलोमीटर दूर
गोरखपुर-कुशीनगर मार्ग पर अत्यन्त सुन्दर
एवं मनोहारी छटा
से पूर्ण मनोरंजन केन्द्र (पिकनिक
स्पॉट) स्थित है
जहाँ बारहसिंघे व
अन्य हिरण, अजगर,
खरगोश तथा अन्य
वन्य पशु-पक्षी
विचरण करते हैं।
यहीं पर प्राचीन बुढ़िया माई
का स्थान भी
है, जो नववर्ष,
नवरात्रि तथा अन्य अवसरों
पर कई श्रद्धालुओं को
आकर्षित करता है।
गीतावाटिका
गोरखपुर-पिपराइच मार्ग
पर रेलवे स्टेशन
से 3 किलोमीटर दूरी
पर स्थित गीतावाटिका में
राधा-कृष्ण का
भव्य मनमोहक मन्दिर
स्थित है। इसकी
स्थापना प्रख्यात समाजसेवी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने
की थी।
रामगढ़
ताल
रेलवे स्टेशन
से 5 किलोमीटर पर
1700 एकड़
के विस्तृत भू-भाग में रामगढ़
ताल स्थित है।
यह पर्यटकों के
लिए अत्यन्त आकर्षक
केन्द्र है। यहां पर
जल क्रीड़ा केन्द्र, बौद्ध
संग्रहालय, तारा मण्डल, चम्पादेवी पार्क
एवं अम्बेडकर उद्यान
आदि दर्शनीय स्थल
हैं।
इमामबाड़ा
गोरखपुर नगर
के मध्य में
रेलवे स्टेशन से
2 किलोमीटर दूरी पर स्थित
इस इमामबाड़ा का
निर्माण हज़रत बाबा रोशन
अलीशाह की अनुमति
से सन् 1717 ई० में
नवाब आसफुद्दौला ने
करवाया। उसी समय से
यहां पर दो
बहुमूल्य ताजियां एक स्वर्ण और
दूसरा चांदी का
रखा हुआ है।
यहां से मुहर्रम का
जुलूस निकलता है।
प्राचीन
महादेव झारखंडी मन्दिर
गोरखपुर शहर
से देवरिया मार्ग
पर कूड़ाघाट बाज़ार
के निकट शहर
से 4 किलोमीटर पर
यह प्राचीन शिव
स्थल रामगढ़ ताल
के पूर्वी भाग
में स्थित है।
मुंशी प्रेमचन्द
उद्यान
गोरखपुर नगर
के मध्य में
रेलवे स्टेशन से
6 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित यह मनोरम
उद्यान प्रख्यात साहित्यकार मुंशी
प्रेमचन्द के नाम पर
बना है। इसमें
प्रेमचन्द्र के साहित्य से
सम्बन्धित एक विशाल पुस्तकालय निर्मित है
तथा यह उन
दिनों का द्योतक
है जब मुंशी
प्रेमचन्द गोरखपुर में एक स्कूल
टीचर थे।
सूर्यकुण्ड
मन्दिर
गोरखपुर नगर
के एक कोने
में रेलवे स्टेशन
से 4 किलोमीटर दूरी
पर स्थित ताल
के मध्य में
स्थित इस स्थान
में के बारे
में यह विख्यात है
कि भगवान श्री
राम ने यहाँ
पर विश्राम किया
था जो कि
कालान्तर में भव्य सुर्यकुण्ड मन्दिर
बना। 10 एकड मे
फैला है।
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